लेखनी कहानी -31-Aug-2023 "ख़ुशियां"

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    ख़ुशियाँ बहारें ही बहारें है खिले है फूल ख़ुशियों के।  छेड़ो मृदंग ज़रा लोगों ख़ुशियों ने द्वार  खोलें है।।  पूर्णिमा का चांद है लोगों तारों की बारात सजी है।  ...

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