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ख़ुशियाँ बहारें ही बहारें है खिले है फूल ख़ुशियों के। छेड़ो मृदंग ज़रा लोगों ख़ुशियों ने द्वार खोलें है।। पूर्णिमा का चांद है लोगों तारों की बारात सजी है। ...